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पवित्र रिश्ता-79

शादी का महत्व हैं सात जन्मो का साथ, अपने जीवन साथी के साथ जन्मो जन्मो तक इकट्ठे रहना। हमें इस शादी के पवित्र रिश्ते को समझना चाहिए। एक दूसरे...

शादी का महत्व हैं सात जन्मो का साथ, अपने जीवन साथी के साथ जन्मो जन्मो तक इकट्ठे रहना। हमें इस शादी के पवित्र रिश्ते को समझना चाहिए। एक दूसरे की रिस्पेक्ट करनी चाहिए. इस पवित्र रिश्ते को निभाने के लिए कभी भी एक दूसरे को नीचा ना दिखायें, कि मैं तुम से ज़्यादा पढ़ा लिखा हूँ, मैं तुम से ज़्यादा कमाता हूँ, मैं तुम से ज़्यादा धनवान हूँ, मैं तुम से ज़्यादा खूबसूरत हूँ, ऐसी छोटी छोटी चीजों को नज़रंदाज़ करके, एक दूसरे को अपने बराबर समझ कर रिश्ते निभाये जाते हैं, आजकल के जमाने में रिश्ते बहुत कमजोर हैं. हमें इसको मज़बूत बनाना चाहिए।

 उपरांत जीवन साथी को छोड़ने के लिए 2 शब्दों का प्रयोग किया जाता है
1-Divorce (अंग्रेजी)
2-तलाक (उर्दू)

कृपया हिन्दी का शब्द बताए...?
एक दिन की बात हैं कि एक  दिन खबर आई कि एक आदमी ने झगड़ा करने के बाद अपनी पत्नी की हत्या कर दी मैंने खब़र में हेडिंग लगाई कि पति ने अपनी बीवी को मार डाला खबर छप गई किसी को आपत्ति नहीं थी ,पर शाम को दफ्तर से घर के लिए निकलते हुए मेरे दोस्त  जोशी जी सीढ़ी के पास मिल गए मैंने उन्हें नमस्कार किया तो कहने लगे कि अजय जी, पति की बीवी नहीं होती
पति की बीवी नहीं होती? मैं सोच में पड़ गया।
फिर उसने कहा बीवी तो शौहर की होती है, मियां की होती है पति की तो पत्नी होती है। भाषा के मामले में जोशी जी के सामने मेरा टिकना मुमकिन नहीं था हालांकि मैं कहना चाह रहा था कि भाव तो साफ है न ? बीवी कहें या पत्नी या फिर वाइफ, सब एक ही तो हैं लेकिन मेरे कहने से पहले ही उन्होंने मुझसे कहा कि भाव अपनी जगह है, शब्द अपनी जगह कुछ शब्द कुछ जगहों के लिए बने ही नहीं होते, ऐसे में शब्दों का घालमेल गड़बड़ी पैदा करता है

खैर, आज मैं भाषा की कक्षा लगाने नहीं आया आज मैं रिश्तों के एक अलग अध्याय को जीने के लिए आपके पास आया हूं लेकिन इसके लिए आपको मेरे साथ रुचि के पास चलना होगा रुचि मेरी दोस्त है। कल उसने मुझे फोन करके अपने घर बुलाया था। फोन पर उसकी आवाज़ से मेरे मन में खटका हो चुका था। कि कुछ न कुछ गड़बड़ है। मैं शाम को उसके घर पहुंचा उसने चाय बनाई और मुझसे बात करने लगी। पहले तो इधर-उधर की बातें हुईं, फिर उसने कहना शुरू कर दिया कि रमेश से उसकी नहीं बन रही और उसने उसे तलाक देने का फैसला कर लिया है।

मैंने पूछा कि रमेश कहां है, तो उसने कहा कि अभी कहीं गए हैं , बता कर नहीं गए उसने कहा कि बात-बात पर झगड़ा होता है और अब ये झगड़ा बहुत बढ़ गया है। ऐसे में अब एक ही रास्ता बचा है कि अलग हो जाएं, और तलाक़ लें लो।रुचि जब काफी देर बोल चुकी तो मैंने उससे कहा कि तुम रमेश को फोन करो और घर बुलाओ, कहो कि जोशी जी आए हैं।
रुचि ने कहा कि अब तो हमारी बातचीत  भी बंद हैं, फिर वो फोन कैसे करे?

अज़ीब संकट था। रुचि को मैं बहुत पहले से जानता हूं। मैं जानता हूं कि रमेश से शादी करने के लिए उसने घर में कितना संघर्ष किया था, बहुत मुश्किल से दोनों के घर वाले राज़ी हुए थे, फिर धूमधाम से शादी हुई थी। ढेर सारी रस्म पूरी की गईं थीं ,ऐसा लगता था कि ये जोड़ी ऊपर से बन कर आई है ,पर शादी के कुछ ही साल बाद दोनों के बीच झगड़े होने लगे दोनों एक-दूसरे को खरी-खोटी सुनाने लगे और आज बात तलाक़ तक पहुँच गई। खैर , रुचि ने फोन नहीं किया मैंने ही फोन किया और पूछा कि तुम कहां हो मैं तुम्हारे घर पर हूँ, तुम घर आ जाओ इकट्ठे बैठ कर बातें करेंगे, काफ़ी देर तक रमेश मना करता रहा,पर वो जल्दी ही मान गया और घर चला आया। अब दोनों के चेहरों पर तनातनी साफ नज़र आ रही थी।  ऐसा लग रहा था कि कभी दो जिस्म-एक जान कहे जाने वाले ये पति-पत्नी आंखों ही आंखों में एक दूसरे की जान ले लेंगे दोनों के बीच कई दिनों से बातचीत नहीं हुई थी। रमेश मेरे सामने बैठा था।मैंने उससे कहा कि सुना है कि तुम रुचि से तलाक लेना चाहते हो? उसने कहा, हाँ, जी आपने बिल्कुल सही सुना है अब हम साथ नहीं रह सकते। मैंने कहा कि तुम चाहो तो अलग रह सकते हो पर तलाक नहीं ले सकते।

क्यों?
क्योंकि तुमने निकाह तो किया ही नहीं है, अरे यार, हमने शादी तो की है।
हाँ ,शादी की है शादी में पति-पत्नी के बीच इस तरह अलग होने का कोई प्रावधान नहीं है, अगर तुमने मैरिज़ की होती तो तुम डाइवोर्स ले सकते थे ,अगर तुमने निकाह किया होता तो तुम तलाक ले सकते थे ,लेकिन क्योंकि तुमने शादी की है, इसका मतलब ये हुआ कि हिंदू धर्म और हिंदी में कहीं भी पति-पत्नी के एक हो जाने के बाद अलग होने का कोई प्रावधान है ही नहीं।
मैंने इतनी-सी बात पूरी गंभीरता से कही थी, पर दोनों हंस पड़े थे। दोनों को साथ-साथ हंसते देख कर मुझे बहुत खुशी हुई थी।मैंने समझ लिया था, कि रिश्तों पर पड़ी बर्फ अब पिघलने लगी है। वो हंसे, लेकिन मैं गंभीर बना रहा।
मैंने फिर रुचि से पूछा कि ये तुम्हारे कौन हैं? रुचि ने नज़रे झुका कर कहा कि ये मेरे पति हैं। मैंने यही सवाल रमेश से किया कि ये तुम्हारी कौन हैं? उसने भी नज़रें इधर-उधर घुमाते हुए कहा कि बीवी हैं मेरी ।

मैंने तुरंत टोका ये तुम्हारी बीवी नहीं हैं। ये तुम्हारी बीवी इसलिए नहीं हैं ,क्योंकि तुम इनके शौहर नहीं ,क्योंकि तुमने इनसे साथ निकाह नहीं किया ,तुमने शादी की है। शादी के बाद ये तुम्हारी पत्नी हुईं हमारे यहां जोड़ी ऊपर से बन कर आती है तुम भले सोचो कि शादी तुमने की है, पर ये सत्य नहीं है। तुम शादी का एलबम निकाल कर लाओ, मैं सब कुछ अभी इसी वक्त साबित कर दूंगा

बात अलग दिशा में चल पड़ी थी मेरे एक-दो बार कहने के बाद रुचि शादी का एलबम निकाल लाई अब तक माहौल थोड़ा ठंडा हो चुका था, एलबम लाते हुए उसने कहा कि कॉफी बना कर लाती हूँ।मैंने कहा कि अभी बैठो, इन तस्वीरों को देखो कई तस्वीरों को देखते हुए मेरी निगाह एक तस्वीर पर गई जहां रुचि और रमेश शादी के जोड़े में बैठे थे और पांव पूजन की रस्म चल रही थी मैंने वो तस्वीर एलबम से निकाली और उनसे कहा कि इस तस्वीर को गौर से देखो। उन्होंने तस्वीर देखी और साथ-साथ पूछ बैठे कि इसमें खास क्या है?
उसने कहा शादी से पहले हम लड़कियों , के पैर छूते हैं,लेकिनशादी के बात वो ही लड़की किसी की पत्नी बन कर पति के पैर छूती हैं, यह रिश्ता बहुत बड़ा,और पवित्र हैं।  ये एक रस्म है ऐसी रस्म संसार के किसी धर्म में नहीं होती।जहां पत्नी अपने पति  के पाँव छूती हों लेकिन हमारे यहां शादी को ईश्वरीय विधान माना गया है, इसलिए ऐसा माना जाता है कि शादी के दिन पति-पत्नी दोनों विष्णु और लक्ष्मी के रूप हो जाते हैं। दोनों के भीतर ईश्वर का निवास हो जाता है अब तुम दोनों खुद सोचो कि क्या हज़ारों-लाखों साल से विष्णु और लक्ष्मी कभी अलग हुए हैं। दोनों के बीच कभी झिकझिक हुई भी हो तो क्या कभी तुम सोच सकते हो कि दोनों अलग हो जाएंगे? नहीं होंगे हमारे यहां इस रिश्ते में ये प्रावधान है ही नहीं तलाक शब्द हमारा नहीं है डाइवोर्स शब्द भी हमारा नहीं है।

यहीं दोनों से मैंने ये भी पूछा कि बताओ कि हिंदी में तलाक को क्या कहते हैं? दोनों मेरी ओर देखने लगे उनके पास कोई जवाब था ही नहीं फिर मैंने ही कहा कि दरअसल हिंदी में तलाक का कोई विकल्प नहीं।हमारे यहां तो ऐसा माना जाता है कि एक बार एक हो गए तो कई जन्मों के लिए एक हो गए तो प्लीज़ जो हो ही नहीं सकता, उसे करने की कोशिश भी मत करो या फिर पहले एक दूसरे से निकाह कर लो, फिर तलाक ले लेना।
अब तक रिश्तों पर जमी बर्फ काफी पिघल चुकी थी।रुचि चुपचाप मेरी बातें सुन रही थी फिर उसने कहा कि
भैया, मैं कॉफी लेकर आती हूँ। वो कॉफी लाने गई, मैंने रमेश से बातें शुरू कर दीं बहुत जल्दी पता चल गया कि बहुत ही छोटी-छोटी बातें हैं, बहुत ही छोटी-छोटी इच्छाएं हैं, जिनकी वज़ह से झगड़े हो रहे हैं। खैर, कॉफी आई मैंने एक चम्मच चीनी अपने कप में डाली।  रमेश के कप में चीनी डाल ही रहा था कि रुचि ने रोक लिया, भैया इन्हें शुगर है ,यह चीनी नहीं लेंगे। लो जी, घंटा भर पहले ये इनसे अलग होने की सोच रही थीं और अब इनके स्वास्थ्य की सोच रही हैं। मैं हंस पड़ा ,और मैंने कहा कि अब तुम लोग अगले हफ़्ते निकाह कर लो, फिर तलाक में मैं तुम दोनों की मदद करूंगा। दोनो के दिल बहुत छोटे हो गये, ऐसा लग रहा था कि वह सिर्फ़ रिश्ते को ख़त्म कर रहे थे लेकिन अपने दिल से नहीं, उन दोनो का आपसी प्यार इतना था कि वह दिल से एक दूसरे से एक पल के लिए भी जुदा नहीं होना चाहतें, उनकी आँखे चाहे नहीं रो रही थी पर दिल दोनो के रो रहें थे।
शायद अब दोनों समझ चुके थे,
हिन्दी एक भाषा ही नहीं - संस्कृति है।
इसी तरह हिन्दू भी धर्म नही - सभ्यता है।
शादी के इस पवित्र रिश्ते को एक झटके से तोड़ें नहीं बल्कि एक दूसरे को समझ कर ,सम्मान देकर मज़बूत बनायें.

1 comment

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