Page Nav

HIDE

Followers

Breaking News:

latest

जाने कहाँ गए वो दिन...78

 कृपया इस कहानी को बहुत गौर से पढ़ना और समझना. स्कूल के चार करीबी दोस्तों की आँखें नम करने वाली कहानी है।जिन्होंने एक ही स्कूल में इकट्ठे ही...

 कृपया इस कहानी को बहुत गौर से पढ़ना और समझना. स्कूल के चार करीबी दोस्तों की आँखें नम करने वाली कहानी है।जिन्होंने एक ही स्कूल में इकट्ठे ही एसएससी तक पढ़ाई की है। उस समय शहर में एक बहुत ही आलीशान होटल हुआ करता  था। एक दिन चारों दोस्तों ने तय किया कि एसएससी की परीक्षा के बाद हमें उस होटल में जाकर चाय-नाश्ता करना चाहिए।उन चारों ने मुश्किल से पैसे जमा किए, और रविवार के दिन साढ़े दस बजे वे चारों साइकिल से होटल पहुँचे।

वहाँ जाकर मनु, मनोज, अमित और शिवम् चाय-नाश्ता करते हुए बातें करने लगे।और खूब एंजोय किया उन चारों ने सर्वसम्मति से फैसला किया कि पचास साल बाद हम 01 अप्रैल को इस होटल में फिर मिलेंगे।तब तक हम सब को बहुत मेहनत करनी चाहिए, यह देखना दिलचस्प होगा कि किसकी कितनी प्रगति हुई है। जो दोस्त उस दिन बाद में होटल आएगा उसे उस समय का होटल का बिल देना होगा।

   उनको चाय नाश्ता परोसने वाला वेटर रामू यह सब सुन रहा था, उसने कहा कि अगर मैं यहाँ रहा, तो मैं इस होटल में आप सब का इंतज़ार करूँगा। आगे की शिक्षा के लिए चारों अलग- अलग हो गए।मनु के पिता के बदली होने पर वह शहर छोड़ चुका था, मनोज आगे की पढ़ाई के लिए अपने चाचा के पास चला गया, अमित और शिवम् को शहर के अलग-अलग कॉलेजों में दाखिला मिला।आखिरकार शिवम् भी  शहर छोड़कर चला गया।काफ़ी समय बीत गये, दिन, महीने, साल बीत गए।

  पचास वर्षों में उस शहर में थोड़ा सा परिवर्तन आया, शहर की आबादी बढ़ी, सड़कों, फ्लाईओवर ने महानगरों की सूरत बदल दी।अब वह होटल फाइव स्टार होटल बन गया था, वेटर रामू अब रामू सेठ बन गया और इस होटल का मालिक बन गया पचास साल बाद, निर्धारित तिथि, 01 अप्रैल को दोपहर में, एक लग्जरी कार होटल के दरवाजे पर आई। मनु कार से उतरा और होटल की और  चलने लगा, मनु के पास अब तीन ज्वैलरी शो रूम हैं।मनु होटल के मालिक रामू सेठ के पास पहुँचा, दोनों एक दूसरे को देखते रहे।रामू सेठ ने कहा कि शिवम् सर ने आपके लिए एक महीने पहले एक टेबल बुक किया था।मनु मन ही मन खुश था कि वह चारों में से पहला था, इसलिए उसे आज का बिल नहीं देना पड़ेगा, और वह इसके लिए अपने दोस्तों का मज़ाक उड़ाएगा। एक घंटे में मनोज आ गया, वह शहर का बड़ा बिल्डर बन गया था। अपनी उम्र के हिसाब से वह अब एक बूढ़े सीनियर सिटिज़न की तरह लग रहा था।अब दोनों बातें कर रहे थे और दूसरे मित्रों का इंतज़ार कर रहे थे, तीसरा मित्र अमित आधे घंटे में आ गया। उससे बात करने पर दोनों को पता चला कि अमित बिज़नेसमैन बन गया है।तीनों मित्रों की आँखें बार-बार दरवाजे पर जा रही थीं, कि शिवम् कब आएगा?

इतनी देर में रामू सेठ ने कहा कि शिवम् सर की ओर से एक मैसेज आया है, तुम लोग चाय-नाश्ता शुरू करो, मैं आ रहा हूँ। तीनों पचास साल बाद एक-दूसरे से मिलकर खुश थे।बचपन की काफ़ी यादें ताज़ा की, घंटों तक मजाक चलता रहा, लेकिन शिवम् नहीं आया। रामू सेठ ने कहा कि फिर से शिवम् सर का मैसेज आया है, आप तीनों अपना मनपसंद मेन्यू चुनकर खाना शुरू करें। खाना भी खा लिया, लेकिन शिवम् तभी भी नहीं आया, बिल माँगते ही तीनों को जवाब मिला कि ऑनलाइन बिल का भुगतान हो गया है।

शाम के आठ बजे एक युवक कार से उतरा और भारी मन से निकलने की तैयारी कर रहे तीनों मित्रों के पास पहुँचा, तीनों उस आदमी को देखते ही रह गए। युवक कहने लगा, मैं आपके दोस्त का बेटा शाम हूँ, मेरे पिता का नाम शिवम् है। मेरे पिता जी ने मुझे आज आपके आने के बारे में बताया था, उन्हें इस दिन का इंतजार था, लेकिन पिछले महीने एक गंभीर बीमारी के कारण उनका निधन हो गया। उन्होंने मुझे देर से मिलने के लिए कहा, अगर मैं जल्दी निकल गया, तो वे दुखी होंगे, क्योंकि मेरे दोस्त तब नहीं हँसेंगे, जब उन्हें पता चलेगा कि मैं इस दुनिया में नहीं हूँ, तो वे एक-दूसरे से मिलने की खुशी खो देंगे। इसलिए उन्होंने मुझे देर से आने का आदेश दिया।

उन्होंने मुझे उनकी ओर से आपको गले लगाने के लिए भी कहा, शाम ने अपने दोनों हाथ फैला दिए। आसपास के लोग उत्सुकता से इस दृश्य को देख रहे थे, उन्हें लगा कि उन्होंने इस युवक को कहीं देखा है। शाम ने कहा कि मेरे पिता शिक्षक बने, और मुझे पढ़ाकर कलेक्टर बनाया, आज मैं इस शहर का कलेक्टर हूँ। सब चकित थे, रामू सेठ ने कहा कि अब पचास साल बाद नहीं, बल्कि हर पचास दिन में हम अपने होटल में बार-बार मिलेंगे, और हर बार मेरी तरफ से एक भव्य पार्टी होगी।

अपने सगे-सम्बन्धियों से मिलते रहो, दोस्तों मिलने के लिए बरसों का इंतज़ार मत करो, जाने कब किसकी बिछड़ने की बारी आ जाए और हमें पता ही न चले। शायद यही हाल हमारा भी है। हम अपने कुछ दोस्तों को सुप्रभात, शुभरात्रि आदि का मैसेज भेज कर ज़िंदा रहने का प्रमाण देते हैं। ज़िंदगी भी ट्रेन की तरह है जिसका जब स्टेशन आयेगा, उतर जायेगा। रह जाती हैं सिर्फ धुंधली सी यादें।परिवार के साथ रहें, ज़िन्दा होने की खुशी महसूस करें..सिर्फ होली या दीपावली के दिन ही नहीं अन्य सभी अवसरों तथा दिन प्रतिदिन मिलने पर भी गले लगाया करें. ज़िंदगीको ख़ुशी से जियें.

 http://www.khushikepal.com/

Please read and understand this story very carefully.  It is an eye-watering story of four close school friends who have studied together in the same school till SSC.  At that time there used to be a very luxurious hotel in the city.  One day the four friends decided that after the SSC exams, we should go to that hotel to have tea and breakfast. All four of them barely deposited the money, and on Sunday at 10.30, they all reached the hotel by bicycle.



 Going there, Manu, Manoj, Amit and Shivam started talking while having tea and breakfast. And they had a lot of fun. All four of them unanimously decided that after fifty years we will meet again in this hotel on 1st April. Till then we all worked very hard.  It will be interesting to see how much progress has been made.  The friend who comes to the hotel later that day will have to pay the hotel bill for that time.


    Ramu, the waiter who served him tea and snacks, was listening to all this, he said that if I stay here, I will wait for you all in this hotel.  The four parted ways for further education. He had left the city after Manu's father changed, Manoj went to his uncle for further studies, Amit and Shivam were admitted to different colleges in the city.  Found it. Finally Shivam also left the city. A lot of time passed, days, months, years passed.


   In fifty years there was little change in that city, the population of the city increased, roads, flyovers changed the look of the metropolis. Now that hotel had become a five star hotel, waiter Ramu now became Ramu Seth and became the owner of this hotel  Fifty years later, at noon on the scheduled date, April 01, a luxury car arrived at the door of the hotel.  Manu got down from the car and started walking towards the hotel, Manu now has three jewelery showrooms. Manu reached the owner of the hotel Ramu Seth, both kept looking at each other. Ramu Seth said that Shivam sir did a month for you.  Had booked a table earlier. Manu was heartbroken that he was the first of the four, so he wouldn't have to pay today's bill, and would make fun of his friends for it.  Manoj arrived in an hour, he had become a big builder of the city.  For his age he now looked like an old senior citizen. Now both were talking and waiting for other friends, the third friend Amit arrived in half an hour.  On talking to him, both of them came to know that Amit has become a businessman. The eyes of the three friends were repeatedly going on the door, that when will Shivam come?


 After that Ramu Seth said that a message has come from Shivam sir, you guys start tea and breakfast, I am coming.  All three were happy to meet each other after fifty years. Relived a lot of childhood memories, jokes went on for hours, but Shivam did not come.  Ramu Seth said that Shivam sir's message has come again, all three of you start eating after choosing your favorite menu.  Had the food too, but Shivam did not come even then, as soon as he asked for the bill, all three got the answer that the online bill has been paid.


 At eight o'clock in the evening, a young man got down from the car and approached the three friends preparing to leave with a heavy heart, all three kept on seeing the man.  The young man said, I am your friend's son Sham, my father's name is Shivam.  My father had told me about your arrival today, he was waiting for this day, but he passed away last month due to a serious illness.  They told me to meet late, if I leave early, they will be sad, because my friends will not laugh when they know that I am not in this world, they will lose the joy of meeting each other  .  So he ordered me to come late.



 He also asked me to hug you on his behalf, Sham spread both his hands.  The people around were eagerly watching this scene, they thought they had seen this young man somewhere.  Sham said that my father became a teacher, and made me a collector after teaching, today I am the collector of this city.  Everyone was amazed, Ramu Seth said that now not after fifty years, but every fifty days we will meet again and again in our hotel, and every time there will be a grand party from my side.


 Keep meeting your relatives, don't wait for years to meet friends, know when it's time to part ways and we don't even know.  Maybe the same is true of us.  We give proof of being alive by sending messages of good morning, good night etc to some of our friends.  Life is like a train, when it comes to the station, it will get down.  Only the faint memories remain. Be with family, feel the joy of being alive.. Hug not only on Holi or Deepawali but on all other occasions and day to day meeting also.  Live life happily.


  http://www.khushikepal.com/

No comments