इस दुनिया में तरह-तरह के लोग होते हैं. कुछ तो ऐसे होते हैं, जो स्वयं की कमजोरियों को तो नज़रंदाज़ कर जाते हैं किंतु दूसरों की कमजोरियों पर उपह...
इस दुनिया में तरह-तरह के लोग होते हैं. कुछ तो ऐसे होते हैं, जो स्वयं की कमजोरियों को तो नज़रंदाज़ कर जाते हैं किंतु दूसरों की कमजोरियों पर उपहास करने सदा तत्पर रहते हैं. वास्तविकता का अनुमान लगाये बिना वे दूसरों की कमजोरियों पर हँसते हैं और अपने तीखे शब्दों के बाणों से उन्हें ठेस पहुँचाते हैं. किंतु जब उन्हें यथार्थ का तमाचा पड़ता है, तो सिवाय ग्लानि के उनके पास कुछ शेष नहीं बचता. जैसे कहते है कि गाड़ी में अगर ब्रेक ना हो तो दुर्घटना निश्चित है , जीवन में अगर संस्कार और मर्यादा ना हो तो पतन निश्चित हैं।
आज मैं आपको एक अंधे लड़के (Blind Man) की कहानी बताऊँगी। जिसे ऐसे ही लोगों के उपहास का पात्र बनना पड़ा. एक गाँव में एक अंधा लड़का रहता था. वह रात में जब भी बाहर जाता, एक जली हुई लालटेन (लैम्प) हमेशा अपने साथ रखता था. एक रात वह अपने दोस्त के घर से भोजन कर के अपने घर वापिस आ रहा था. हमेशा की तरह उसके हाथ में एक जली हुई लालटेन थी. कुछ शरारती लड़कों ने जब उसके हाथ में लालटेन देखी, तो उस पर हंसने लगे और उसका मजाक उड़ाने लगे और कहने लगे अरे,देखो-देखो अंधा लालटेन लेकर जा रहा है. अंधे को लालटेन का क्या काम?
उनकी बात सुनकर अंधा लड़का ठिठक गया और नम्रता से बोला, सही कहते हो भाईयों. मैं तो अंधा हूँ. देख नहीं सकता. मेरी दुनिया में तो सदा से अंधेरा रहा है. मुझे लालटेन का क्या काम? मेरी आदत तो अंधेरे में ही जीने की है. लेकिन आप जैसे आँखों वाले लोगों को तो अंधेरे में जीने की आदत नहीं होती. आप लोगों को अंधेरे में देखने में समस्या हो सकती है. कहीं आप जैसे लोग मुझे अंधेरे में देख ना पायें और धक्का दे दें, तो मुझ बेचारे का क्या होगा? इसलिए ये लालटेन आप जैसे लोगों के लिए लेकर चलता हूँ. ताकि अंधेरे में आप लोग मुझ अंधे को देख सकें. मैं तो आँखों से ही अंधा हूँ। आपके पास आंखे हो कर भी किसी के प्रति कोई जागृति नहीं , आप तो सोच, विचार और बुद्धि से भी अंधे हो।
अंधे लड़के की बात सुनकर वे लड़के शर्मसार हो गए और उससे क्षमा मांगने लगे. उन्होंने प्रण किया कि भविष्य में बिना सोचे-समझे किसी से कुछ नहीं कहेंगे. कदर किया करो उनकी जो तुम्हारी बुरी हरकतो के बाद भी तुम से अच्छे से बात करते हैं
( शिक्षा )
कभी किसी को नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और कुछ भी कहने के पूर्व अच्छी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए. क्या पता कल आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हो। हमें हमेशा भगवान से डर कर रहना चाहिए ।
कभी किसी को नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और कुछ भी कहने के पूर्व अच्छी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए. क्या पता कल आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हो। हमें हमेशा भगवान से डर कर रहना चाहिए ।
There are different types of people in this world. There are some who ignore their own weaknesses but are always ready to ridicule the weaknesses of others. Without guessing the reality, they laugh at the weaknesses of others and hurt them with their sharp words. But when they get the slap of reality, they have nothing left but guilt. Like it is said that if there is no brake in the car, then the accident is certain, if there is no sanskar and dignity in life, then the downfall is certain.
Today I will tell you the story of a blind boy. Who had to become the object of ridicule of such people.
There lived a blind boy in a village. He always carried a lit lantern with him whenever he went out at night. One night he was coming back to his house after having food from his friend's house. As usual, he had a lit lantern in his hand. When some mischievous boys saw the lantern in his hand, they started laughing at him and started making fun of him and started saying hey, look, the blind man is carrying the lantern. What is the function of a lantern to the blind?
Hearing them, the blind boy stopped and said softly, you are right, brothers. I am blind. can't see. My world has always been dark. What do I do with the lantern? I have a habit of living in the dark. But people with eyes like you are not used to living in the dark. You may have trouble seeing people in the dark. If people like you can't see me in the dark and push me, then what will happen to my poor person? That's why I carry this lantern for people like you. So that you can see me blind in the dark. I am blind in my eyes. Even if you have eyes, you have no awareness towards anyone, you are blind even by thinking, thinking and intellect.
Those boys were ashamed after hearing the blind boy and started apologizing to him. He vowed that in future he would not say anything to anyone without thinking. Appreciate those who talk to you well even after your bad deeds
(Moral of the story)
Never try to humiliate anyone and think carefully before saying anything. Do you know if the same thing happens with you tomorrow? we should always be afraid of God.
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