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बाप और बेटे की कहानी -70

इसमे कोई शक नहीं कि पिता और पुत्र के बीच में बेहद ही खास रिश्ता होता है। कहते हैं कि पिता का सबसे करीबी दोस्त उसका बेटा ही होता हैं।  एक दिन...

इसमे कोई शक नहीं कि पिता और पुत्र के बीच में बेहद ही खास रिश्ता होता है। कहते हैं कि पिता का सबसे करीबी दोस्त उसका बेटा ही होता हैं।  एक दिन एक बार एक बेटा जिसका नाम गोविंद था। वह अपने माता-पिता से बहुत प्यार करता था। एक दिन गोविंद अपने पिता जी को एक अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खाने के लिए लेकर गया। खाना खाते समय उसके पिता जी के कपड़ों  पर खाना गिर गया और यह बार बार हुआ। रेस्टोरेंट में बेठे दूसरे लोग बड़ी घृणा के साथ उसकी तरफ देख रहे थे। लेकिन गोविंद शांत सवभाव का था। और वह बिल्कुल शांत रहा। खाने के बाद गोविंद ने बिना किसी शर्म से अपने पिता जी को वाशरूम में ले गया। उनके कपड़े साफ किए,  हाथ- मुहँ साफ किया, बाल ठीक किए, फिर अपने पिता जी को बाहर लेकर आया। सभी लोग खामोशी से उन्हे देख रहे थे, कोई कुछ कहता उसके बाप के बारे में, तो कोई कुछ कहता कि क्या जरूरत थी इसको अपने पिता को साथ में लाने की। जब खाना - पीना ही नहीं आता इसके बाप को। 

गोविंद ने बिल का भुगतान किया और आदर पूर्वक पिता जी का हाथ पकड़ कर जाने लगा, तभी डिनर कर रहे एक अन्य बजुर्ग ने उसे आवाज दी, और पूछा- बेटा गोविंद क्या तुम्हें नहीं लगता कि यहाँ अपने पीछे तुम कुछ छोड़ कर जा रहे हो? उसने जबाब दिया नहीं सर, मैं कुछ भी छोड़ कर नहीं जा रहा। बजुर्ग ने कहा- बेटे गोविंद तुम यहाँ हर किसी पुत्र के लिए शिक्षा, सबक, और हर किसी पिता के लिए एक उम्मीद छोड़ कर जा रहे हो। 

आमतोर पर हम लोग अपने बजुर्ग माता-पिता को अपने साथ बाहर ले जाना पसंद नहीं करते, और कहते है कि आप बाहर जा कर क्या करोगे। आप से चला तो जाता नहीं और न ही कुछ खाया - पिया जाता हैं , आप घर में ही रहो। लेकिन क्या आप भूल गए कि जब आप छोटे थे, ठीक तरह से खाया- पिया भी नहीं जाता था। तब हम आप को अपनी गोद में बिठा कर बाहर घुमाने लेकर जाते थे। अपने हाथों से खाना खिलाते थे। खाना गिर जाने पर या फिर कोई गलती हो जाने पर डांटते नहीं थे बल्कि प्यार से समझाते थे। 

फिर वहीं माँ - बाप बुढ़ापे में बोझ क्यूँ लगने लगते हैं ? माँ- बाप भगवान का ही रूप हैं। इनकी सेवा करो इनकी कदर करो।

खुशियों से भरा हो वो संसार, जिसमें ताउम्र हो पापा का प्यार। मेरा बेटा मेरा गरुर हैं, चाँद भी शर्मा जाए, वो ऐसा कोहिनूर हैं ,बेटे के सिर पर जब पिता का हाथ होता हैं, उसका हर लम्हा खुशहाल होता हैं 

सबकी आँखों का तारा होता हैं, बेटा सिर्फ बेटा नहीं, पिता का सहारा होता हैं वो  हमें पानी देकर खुद पसीने से नहाते हैं, हमारी मुस्कान देख कर अपना दर्द भूल जाते हैं, हमारे सपने हो पूरे इसलिए वो काम पर जाते है, वो इंसान नहीं आम जो पिता कहलाते हैं। 

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