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सुनहरे पल - 62

एक समय की बात हैं। एक तरखान (Carpenter) था । जिसका नाम रामू था। वो एक कम्पनी (Company) मे काम करता था। उसको कम्पनी मे काम करते हुए बहुत साल ...


एक समय की बात हैं। एक तरखान (Carpenter) था । जिसका नाम रामू था। वो एक कम्पनी (Company) मे काम करता था। उसको कम्पनी मे काम करते हुए बहुत साल (Years) हो गये थे। वो अपने परिवार से दूर रहता था। अब वो कम्पनी का काम छोड़ कर अपने परिवार के पास जाना चाहता था।


एक दिन उसने कम्पनी के मैनेजर को बोला – सर, अब मैं और काम नही कर सकता। क्योंकि  मैं अपने परिवार के पास जाना चाहता हूँ मेरी सारी ज़िंदगी काम मे ही निकल गयी। मै काम में इतना व्यस्त हो गया हूँ । कि अपने परिवार के साथ समय बिताने का टाइम ही नही मिला। मैनेजर बोले – ठीक है, अगर तुम जाना चाहते हो तो जा सकते हो परंतु एक अंतिम काम करते जाओ। फिर तुम फ्री हो । 

इस के बाद हम सब तुम्हें अच्छे से विदा करेंगे। एक बड़ी पार्टी (Farewell) करेंगे, क्यूँकि तुमने इतने साल इस कम्पनी में काम किया हैं । सच्चे दिल से इसकी सेवा की है। यह लास्ट प्रोजेक्ट बस 2 महीनो का है।उसका दिल नहीं था ।  उसने न चाहते हुए भी हा कर दी और काम करने के लिए तैयार हो गया। अब रामू काम तो करता परंतु उतना दिल से नही। उसका ध्यान इसी बात मे था कि वो कब घर जाएगा।  और अपनी family से मिलेगा । वो मन को मारकर काम कर रहा था। ऐसे करते – करते 2 महीने बीत गये। रामू ने किसी न किसी तरह वो काम खत्म कर दिया। अब मैनेजर रामू के साथ घर देखने आए।

रामू बोला – सर , अब मै घर जाता हूँ मैंने आप का काम पूरा कर दिया है। यह कह कर जैसे ही रामू जाने लगा , मैनेजर ने उसको रोक के कहा – रामू अंदर तो आयो। बाहर कहा जा रहे हो। वो बोला सर मुझे घर जाना है। अब मैं फ्री हूँ । मैंने आपका काम पूरा कर दिया है । 

मैनेजर बोले – तो यह घर किसका है ? रामू बोला – सर , मैं कुछ समझा नही। मैनेजर बोले – रामू यह घर तुम्हारा ही है। यह तुमको कम्पनी की तरफ से तोफ़हा है। यह सुनकर रामू के पैरो से मानो जमीन हिल गयी हो। और उसकी खुशी का ठिकाना  न रहा ।  मैनेजर घर की चाबी देकर चला गया । रामू सोच रहा था – काश ! मुझे पहले पता होता कि यह घर मेरा है, तो मैं इसको बहुत अच्छे से बनाता और इसे और सुन्दर बना सकता था । वो बोल रहा था – काश ! वो समय वापिस आ जाए तो मैं फिर से घर को दुबारा बना दू परंतु समय निकल चुका था। 

शिक्षा - ठीक वैसा ही हम सब के साथ होता है। जब हमारे पास समय होता है। हम ऐसे ही उसको खराब कर देते है। फिर बाद मे पछतावा होता है परंतु बाद मे पछताने से क्या होना। एक बार अगर समय हाथ से निकल जाए तो कभी वापिस नही आता। यही समय का दस्तूर है। समय बहुत कीमती है और बलवान है । इसका अच्छे से इस्तेमाल करना चाहिये। बिता  हुआ समय कभी वापिस नहीं आता । सफलता जितनी देर से मिलती है । उतनी ही ज्यादा निखरती है। बस मेहनत करे । और हमेशा मुसुकुराते रहे । 

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