एक बार भगवान अपने एक निर्धन भक्त से प्रसन्न होकर उसकी सहायता करने उसके घर साधु के वेश में पधारे। उनका यह भक्त जाति से चर्मकार था और निर्धन ह...
ऐसे भक्त से प्रसन्न होकर ही भगवान उसके घर आए थे, ताकि वे उसे कुछ देकर उसकी निर्धनता दूर कर दें तथा भक्त और अधिक ज़रूरतमंदों की सेवा कर सके। भक्त ने द्वार पर साधु को आया देख अपने सामर्थ्य के अनुसार उनका स्वागत सत्कार किया। वापस जाते समय साधू भक्त को पारस पत्थर देते हुए बोले- इसकी सहायता से तुम्हें अथाह धन संपत्ति मिल जायेगी और तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जाएँगे। तुम इसे सँभालकर रखना। इस पर भक्त बोला- फिर तो आप यह पत्थर मुझे न दें। यह मेरे किसी काम का नहीं। वैसे भी मुझे कोई कष्ट नहीं है। जूतियाँ गाँठकर मिलने वाले धन से मेरा काम चल जाता है। मेरे पास राम नाम की संपत्ति भी है, जिसके खोने का भी डर नहीं। यह सुनकर साधु वेशधारी भगवान लौट गए।
इसके बाद भक्त की सहायता करने की कोई कोशिशों में असफल रहने पर भगवान एक दिन उसके सपने में आए और बोले-प्रिय भक्त! हमें पता है कि तुम लोभी नहीं हो। तुम कर्म में विश्वास करते हो। जब तुम अपना कर्म कर रहे हो तो हमें भी अपना कर्म करने दो। इसलिए जो कुछ हम दें, उसे सहर्ष स्वीकार करो। भक्त ने ईश्वर की बात मान ली और उनके द्वारा की गई सहायता और उनकी आज्ञा से एक मंदिर बनवाया और वहाँ भगवान की मूर्ति स्थापित कर उसकी पूजा करने लगा।
एक चर्मकार द्वारा भगवान की पूजा किया जाना पंडितों को सहन नहीं हुआ। उन्होने राजा से इसकी शिकायत कर दी। राजा ने भक्त को बुलाकर जब उससे पूछा तो वह बोला-मुझे तो स्वयं भगवान ने ऐसा करने को कहा था। वैसे भी भगवान को भक्ति प्यारी होती है, जाति नहीं। उनकी नज़र में कोई छोटा-बड़ा नहीं, सब बराबर हैं। राजा बोला-क्या तुम यह साबित करके दिखा सकते हो? भक्त बोला-क्यों नहीं। मेरे मंदिर में विराजित भगवान की मूर्ति उठकर जिस किसी के भी समीप आ जाए, वही सच्चे अर्थों में उनकी पूजा का अधिकारी है। राजा तैयार हो गया। पहले पंडितों ने प्रयास किए लेकिन मूर्ति उनमें से किसी के पास नहीं आई। जब भक्त की बारी आई तो उसने एक पद पढ़ा-"देवाधिदेव आयो तुम शरना, कृपा कीजिए जान अपना जना।' इस पद के पूरा होते ही मूर्ति भक्त की गोद में आ गई। यह देख सभी को आश्चर्य हुआ। राजा और रानी ने उसे तुरंत अपना गुरु बना लिया।
और आज भी सभी उसे अपना गुरु मानते है ।काम छोटा बड़ा नहीं होता लोगों की सोच छोटी है ।
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ReplyDeleteBhagwan saadhu ke bhaish mai padaahre
ReplyDeleteYes thanks bro 😊😊
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