एक बार राजा था उसके यहाँ एक गरीब साहूकार काम करता था . राजा रोज उसे अपनी मर्जी से उसको वेतन देता था और वह साहूकार इतना ईमानदार और सहनशील व्य...
एक दिन राजा ने सोचा कि यह साहूकार कभी मुझे कुछ नहीं कहता । कितना मेहनती और भला इंसान है एक दिन राजा ने साहूकार से पूछ ही लिया कि मै तुम्हें कभी भी पूरे पैसे नहीं देता । कभी कम , कभी ज्यादा दे देता हूँ लेकिन तुम मुझे कुछ नहीं कहते - क्यूँ ?? साहूकार ने बहुत सुन्दर जबाब दिया - कहा महाराज परसों आपने मुझे कम पैसे दिए । उस दिन मेरा कुत्ता चल बसा जो कि मुझे उसकी किस्मत का मिलता था वो उस दिन नहीं मिला मतलब आपने मुझे कम पैसे दिए । कल आपने मुझे ज्यादा पैसे दिए । तो कल मेरे घर पोती ने जन्म लिया तो वो अपनी किस्मत ले कर आई , मतलब आपने कल मुझे ज्यादा पैसे दिए । मेरा कहना यह है कि मुझे जो भी मिलता है मेरी किस्मत का मिलता है मेरी किस्मत से ज्यादा मुझे कभी नहीं मिला। मुझे क्या सब को अपनी किसमत का ही मिलता है बिना किस्मत से पास हो कर भी नहीं मिलता । हर कोई अपनी किस्मत लेकर आता है । वरना कौन किसी को कुछ देता है । राजा उसकी बातों से बहुत परभावीत हुआ । उसे बहुत बड़ा इनाम दिया । कि इतनी सोच आज कल के इंसान में नहीं है ।
देना शुरू कर दो , आना खुद शुरू हो जाएगा ,
इज्जत भी और दोलत भी ..
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