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पचास का नोट - 55

एक बार की बात है ।  मैं पैदल घर आ रहा था । रास्ते में एक बिजली के खंभे पर एक कागज लगा हुआ था । जब पास जाकर देखा, लिखा था: इस रास्ते पर मैंने...

एक बार की बात है ।  मैं पैदल घर आ रहा था । रास्ते में एक बिजली के खंभे पर एक कागज लगा हुआ था । जब पास जाकर देखा, लिखा था: इस रास्ते पर मैंने कल एक 50 का नोट गंवा दिया है । मुझे ठीक से दिखाई नहीं देता । जिसे भी मिले कृपया इस पते पर दे सकते हैं ।यह पढ़कर पता नहीं मुझे क्यों उस पते पर जाने की इच्छा हुई । पता याद रखा । यह उस गली के आखिरी में एक घऱ था । वहाँ जाकर आवाज लगाया तो एक वृद्धा लाठी के सहारे धीरे-धीरे बाहर आई । मुझे मालूम हुआ कि वह अकेली रहती है । उसे ठीक से दिखाई नहीं देता। मैंने कहा - माँ जी आपका खोया हुआ 50 का नोट मुझे मिला है उसे देने आया हूँ ।यह सुन कर वह वृद्धा रोने लगी।

बेटा, अभी तक करीब 50-60 व्यक्ति मुझे 50-50 के कितने नोट दे चुके हैं । मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूँ, । ठीक से दिखाई नहीं देता । पता नहीं कौन मेरी इस हालत को देख कर मेरी मदद करने के उद्देश्य से लिख गया है । बहुत ही कहने पर माँ जी ने पैसे तो रख लिए । पर एक विनती की -  बेटा, वह मैंने नहीं लिखा है । किसी ने मुझ पर तरस खाकर लिखा होगा । जाते-जाते उसे फाड़कर फेंक देना बेटा । मैनें हाँ कहकर टाल तो दिया पर मेरी अंतरात्मा ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि उन 50-60 लोगों से भी माँ ने यही कहा होगा । किसी ने भी नहीं फाड़ा ।जिंदगी मे हम कितने सही और कितने गलत है, ये सिर्फ दो ही शक्स जानते है.

परमात्मा और अपनी अंतरआत्मा. मेरा हृदय उस व्यक्ति के प्रति कृतज्ञता से भर गया । जिसने इस वृद्धा की सेवा का उपाय ढूँढा । सहायता के तो बहुत से मार्ग हैं , पर इस तरह की सेवा मेरे हृदय को छू गई । और मैंने भी उस कागज को फाड़ा नहीं ।मदद के तरीके कई हैं सिर्फ कर्म करने की तीव्र इच्छा मन में होनी चाहिए।
सहयोग बहुत महंगी चीज है हर किसी से इसकी उम्मीद न रखे क्योंकि बहुत कम लोग ही दिल के अमीर होते है । 
गलतियाँ जीवन का हिस्सा है पर इन्हे स्वीकार करने का साहस बहुत कम लोगों में होता है । 
जो दूसरों को इज्जत देता है असल में वह खुद इज्जतदार होता है क्योंकि इंसान दूसरों को वही दे पाता है। जो उसके पास होता है । बेशक गलती भूल जाओ , मगर सबक याद रखो । सब कुछ खोने के बाद भी अगर आपने होसला है तो समझ लीजिए आपने कुछ नहीं खोया । किसी के बुरे वक्त में उसका हाथ पकड़ो , सहारा दो और उसे हिम्मत दो , क्युकी बुरा वक्त तो थोड़े समय में चल जाएगा , लेकिन वो आपको दुआ जिन्दगी भर देते रहेगा । 

कुछ नेकियाँ और कुछ अच्छाइयां. अपने जीवन में ऐसी भी करनी चाहिए. जिनका ईश्वर के सिवाय. कोई और गवाह ना हो. हमेशा अच्छा सोचे , अच्छा करे अच्छा ही पाए और  खुशी से जिये  । 

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