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सोच को बदले --44

एक नाग मस्जिद की एक बिल में रहता था। प्रतिदिन 5 बार नमाज सुनता, प्रतिदिन की तक़रीर भी ध्यान लगाकर सुनता रहता था। एक दिन उसका मन हुआ नमाज की ...

एक नाग मस्जिद की एक बिल में रहता था। प्रतिदिन 5 बार नमाज सुनता, प्रतिदिन की तक़रीर भी ध्यान लगाकर सुनता रहता था। एक दिन उसका मन हुआ नमाज की इतनी महिमा है तो एक दिन नमाज पढ़ ही लेता हूँ, शायद मुझे भी जन्नत मिल जाय। बस क्या था, बेचारा एक दिन ठीक नमाज के समय बाहर निकल के नमाजियों की लाईन में लगने चल पड़ा।

नमाजियों ने नाग देखा तो लाठी डंडा लेकर दौड़ा लिया, अब नाग आगे आगे भागे, नमाजी पीछे पीछे डंडा लेकर।
भागते भागते नाग को एक पुराना सा मंदिर दिख गया। वहा उसे कुछ नजर नहीं आया कि मै कहा छिपो .... आखिर  में उसे वह एक शिवलिंग नजर आया और वह  वहीं घुस कर शिवलिंग से लिपट गया, और उसकी  जान बच गयी।  हिन्दुओं ने जब शिवलिंग पर नाग लिपटा देखा शोर मच गया,भीड़ जमा हो गयी। आरती पूजा शुरू हो गयी, लोग दूध पिलाने लगे। नाग सोच रहा था,

यार मैं भी कहाँ फंसा पड़ा था, मैं तो नमाज पढ़ना चाहता था, उन्होंने लट्ठ लेकर दौड़ा लिया, पत्थर मारने लगे। यहाँ तो पत्थर के भोलेनाथ की शरण में दो घड़ी क्या आया, स्वयं ही नाग से शेषनाग हो गया। लोगों की सोच देखो .. अच्छी सोच रखोगे तो सब कुछ अच्छा ही नजर आएगा। इस लिए सोच को बदलना बहुत जरूरी है। अच्छी सोच रखेंगे तो आपके रिजल्ट भी अच्छे होंगे। जिन्दगी की शुरुआत ही सोच से होती है। लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता है, बस उसका जंग उसे नष्ट करता है। इसी तरह इंसान को भी कोई और नष्ट नहीं कर सकता बस  उसकी सोच ही उसे नष्ट कर सकती है। भगवान सभी को एक ही मिट्टी से बनाता है , बस फ़र्क सिर्फ इतना है कि कोई बाहर से खूबसूरत होता है। तो कोई भीतर से। इसलिए उच्ची सोच , अच्छी सोच रखो और अपने जीवन को सफल बनाओ , और अपनी जिन्दगी को खुशी से जियो। 

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