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ईश्वर पर भरोसा रखे - 59

एक बार एक राजा था,  वह रोज ही मन्दिर जाता ।  जब भी वह  मंदिर जाता, तो 2 भिखारी उसके दाएं और बाएं बैठा करते।  दाईं तरफ़ वाला कहता:  हे ईश्वर, ...

एक बार एक राजा था,  वह रोज ही मन्दिर जाता ।  जब भी वह  मंदिर जाता, तो 2 भिखारी उसके दाएं और बाएं बैठा करते। 

दाईं तरफ़ वाला कहता:  हे ईश्वर, तूने राजा को बहुत कुछ दिया है, राजा के पास तो सब कुछ हैं । मुझे भी दे दे.! और राजा जैसा अमीर बना दो । 

बाईं तरफ़ वाला कहता: ऐ राजा.! ईश्वर ने तुझे बहुत कुछ दिया है,  तेरे पास बहुत कुछ है । तुम मुझे भी कुछ दे दो .!

दाईं तरफ़ वाला भिखारी बाईं तरफ़ वाले  भिखारी से कहता: ईश्वर से माँग, वह सबकी सुनने वाला है. और सब कुछ देगा , एक बार नहीं , बार बार देगा । 
बाईं तरफ़ वाला जवाब देता: "चुप कर मुर्ख..तुझे कुछ नहीं पता । 

एक बार राजा ने अपने मंत्री को बुलाया और कहा कि मंदिर में दाईं तरफ जो भिखारी बैठता है । वह हमेशा ईश्वर से मांगता है।  तो अवश्य ईश्वर उसकी ज़रूर सुनेगा.. लेकिन जो बाईं तरफ बैठता है । वह हमेशा मुझसे फ़रियाद करता रहता है, तो तुम ऐसा करो कि एक बड़े से बर्तन में खीर भर के उसमें स्वर्ण मुद्रा डाल दो और वह उसको दे आओ.!

मंत्री ने ऐसा ही किया.. अब वह भिखारी मज़े से खीर खाते-खाते दूसरे भिखारी को चिड़ाता हुआ बोला: हुह. बड़ा आया ईश्वर देगा..', यह देख राजा से माँगा, मिल गया ना.?
खाते खाते जब इसका पेट भर गया तो इसने बची हुई खीर का बर्तन उस दूसरे भिखारी को दे दिया और कहा: "ले पकड़. तू भी खाले, मुर्ख.. ...अगले दिन जब राजा आया तो देखा कि बाईं तरफ वाला भिखारी तो आज भी वैसे ही बैठा है लेकिन दाईं तरफ वाला ग़ायब है. राजा नें चौंक कर उससे पूछा:  क्या तुझे खीर से भरा बर्तन नहीं मिला.?
भिखारी:  जी मिला था राजा जी, क्या स्वादिस्ट खीर थी, मैंने ख़ूब पेट भर कर खायी.!
राजा: "फिर..? 
भिखारी:  फ़िर जब मेरा पेट भर गया तो वह जो दूसरा भिखारी यहाँ बैठता है । मैंने उसको दे दी, मुर्ख हमेशा कहता रहता है: ' ईश्वर देगा, ईश्वर देगा.! ले खा ले !
राजा मुस्कुरा कर बोला: 
अवश्य ही, ईश्वर ने उसे दे ही दिया.! क्योंकि उसमें जो स्वर्ण मुद्राय थी । वो उसको मिल गई। क्योंकि उसे ईश्वर पर भरोसा था , और ईश्वर ने उस की सुन ली , 
ईश्वर पर भरोसा रखें, ईश्वर से बड़ा कोई नहीं 
घमंड किसी का भी नहीं रहा ,
टूटने से पहले , गुल्लक को भी लगता है कि 
सारे पैसे उसी के है । 
किसी चीज का कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए । भगवान पर विश्वास होना चाहिए । और भगवान से ही मांगना चाहिए । लोगों से मांगने के बाद उनकी बाते आपको हजारों सुन्नी पड़ेगी । लोग ताना मारेंगे , खरी - खोटी सुनाएंगे । एक God ही है जो आपको सब कुछ  देकर  भी कुछ नहीं कहेगा । 
भरोसा ईश्वर पर है । तो जो लिखा है तकदीर में , आप वही पाओगे ,
मगर भरोसा अगर खुद पर है , ईश्वर वही लिखेगा , जो आप चाहोगे । 

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