हमे हमेशा सोच समझ कर ही बोलना चाहिए । क्योंकि बोले हुए वचन वापिस नहीं आते । एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया, पर जबबाद म...
हमे हमेशा सोच समझ कर ही बोलना चाहिए । क्योंकि बोले हुए वचन वापिस नहीं आते ।
एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया, पर जबबाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया। उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा।
संत ने किसान से कहा , ” तुम खूब सारे पंख इकट्ठा कर के मेरे पास लेकर आओ ,बाद में मैं बताता हूँ कि तुम्हें क्या करना होगा फिर संत ने कहा कि इन पंखों को शहर के बीचो-बीच जाकर रख दो।किसान ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया ।
तब संत ने कहा , ” अब जाओ और उन पंखों को इकट्ठा कर के वापस मेरे पास ले कर आओ” ।
किसान वापस गया पर तब तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ चुके थे. और किसान खाली हाथ संत के पास पहुंचा. तब संत ने उससे कहा कि ठीक ऐसा ही तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है,तुम आसानी से इन्हें अपने मुख से निकाल तो सकते हो पर चाह कर भी वापस नहीं ले सकते।
इस लिए कहा है कि जब आप किसी को बुरा कहते हैं तो वह उसे कष्ट पहुंचाने के लिए होता है पर बाद में वो आप ही को अधिक कष्ट देता है। इसलिए खुद को कष्ट देने से क्या लाभ, इससे अच्छा तो है की चुप रहा जाए। कुछ बोलना है तो सोच समझ कर ही बोले ,नहीं तो शांत ही रहे । इससे आपका भी भला हो और दूसरों का भी ।
किसान वापस गया पर तब तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ चुके थे. और किसान खाली हाथ संत के पास पहुंचा. तब संत ने उससे कहा कि ठीक ऐसा ही तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है,तुम आसानी से इन्हें अपने मुख से निकाल तो सकते हो पर चाह कर भी वापस नहीं ले सकते।
इस लिए कहा है कि जब आप किसी को बुरा कहते हैं तो वह उसे कष्ट पहुंचाने के लिए होता है पर बाद में वो आप ही को अधिक कष्ट देता है। इसलिए खुद को कष्ट देने से क्या लाभ, इससे अच्छा तो है की चुप रहा जाए। कुछ बोलना है तो सोच समझ कर ही बोले ,नहीं तो शांत ही रहे । इससे आपका भी भला हो और दूसरों का भी ।
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