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धरती पर स्वर्ग -21

बहुत पहले की बात है कि एक  राज्य के राजा शिव देव  राय ने भरी सभा में अपने सभी दरबारियों और उपस्थित लोगों से कहा कि मैंने बचपन में सुना था कि...



बहुत पहले की बात है कि एक  राज्य के राजा शिव देव  राय ने भरी सभा में अपने सभी दरबारियों और उपस्थित लोगों से कहा कि मैंने बचपन में सुना था कि स्वर्ग एक ऐसी जगह है जो की बहुत सुन्दर है। क्या कोई मुझे स्वर्ग दिखा सकता है। जब किसी ने कोई जवाब नहीं दिया तो राजा ने अपने मंत्री से पूछा कि क्या तुमको भी नहीं पता की स्वर्ग कहा है। मंत्री  ने कहा  कि  महाराज मै आपको स्वर्ग दिखा सकता हूँ लेकिन उसके लिए मुझे 10000 सोने के सिक्के और दो महीने का समय चाहिए।

उसकी इस बात बार सभी दरबारी हॅसने लगे। राजा ने कहा कि ठीक है तुमने जो माँगा है वह तुमको मिलेगा यदि तुम दो महीने बाद स्वर्ग दिखाने में असमर्थ रहे तो तुमको सजा मिलेगी। मंत्री  राजा की बात पर सहमत हो गया और 10000 सोने के सिक्के लेकर चला गया।

इसके बाद दो महीने पुरे हो गए राजा बड़े गुस्से में थे कि मंत्री  अभी तक नहीं आया। लेकिन तभी मंत्री दरबार में पहुंच गया। राजा ने मंत्री  से पूछा कि क्या तुमने स्वर्ग ढूँढ लिया है।

मंत्री  ने कहा कि  जी महाराज मैंने स्वर्ग ढूंढ लिया है कल मै आपको स्वर्ग दिखाने ले चलूँगा। अगले दिन राजा  मंत्री  के साथ चल पड़े। 

कुछ समय बाद एक ऐसी जगह आयी जो कि  बहुत शांत और अच्छी थी। मंत्री  ने कहा कि महाराज आप यहाँ पर कुछ देर आराम कर लीजिये इसके बाद हम आगे स्वर्ग के लिए जायेंगे। राजा ने मंत्री  की बात मानकर सेनिकों से कहा की यहाँ पर मेरे आराम की व्यवस्था की जाये। इसके बाद सेनिको ने राजा के आराम करने के लिए तम्बू बना दिए। राजा को बहुत अच्छा लगा और काफी सकुन भी मिला  , अच्छी जगह है कितनी शांत है हरे भरे पेड़, नदी और पक्षियों की आवाज़। पहले किसी ने मुझको इस जगह के बारे में क्यों नहीं बताया।। कुछ देर के बाद मंत्री आ गया। उसके हाथ में आम थे।

मंत्री  ने राजा से कहा महाराज आप इन आम को खा लीजिये। राजा ने आम खाये और कहा आम तो बहुत मीठे है। राजा ने कहा की मंत्री  तुम हमको स्वर्ग के लिए कब लेकर जाओगे। मंत्री  ने कहा कि  महाराज यह इतनी सुन्दर और शांत जगह है कितना सकुन है , न किसी का डर न किसी का फिकर है  जहाँ पर हरे भरे पेड़ पौधे है, नदी है, पक्षी है और इन मीठे आम के पेड़ है। 

यह जगह स्वर्ग से भी अच्छी है। स्वर्ग तो हमने देखा भी नहीं है। राजा मंत्री  की बात पर सहमत हो गए और कहा लेकिन मंत्री  उन 10000 सोने के सिक्को का क्या किया। मंत्री  ने कहा कि महाराज मैंने उनसे बीज और पौधे ख़रीदे है। जो कि  हम पुरे राज्य  में लगाकर नगर के सभी लोगों को स्वर्ग का अहसास करा सकते है। इससे यही धरती ही हमे स्वर्ग लगेगी । स्वर्ग भी इसी धरती पर है बस उसे स्वर्ग बनाने की जरूरत है । 

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