एक बार की बात है सीता नाम की एक लड़की अपने पिता जी के साथ रहती थी। उसकी माँ बचपन में ही गुजर गयी थी। वह अपने घर का काम करती फिर कॉलेज जाती...
जमींदार ने सीता के पिता से बात करके अपने बेटे की शादी सीता से करा दी। सीता अपने साथ घर के पिंजरे के 4 पक्षी भी लेकर ससुराल आ गयी। वह उन पक्षियों को रोज़ दाना डालती थी। सीता की सास को यह बिलकुल भी पसंद नहीं था। वह उन पक्षियों को परेशान करती और उनका दाना पानी भी जमीन पर फेंक देती थी। एक दिन सीता की सास ने पक्षियों का पिंजरा ही जमीन पर फेंक दिया। उसे यह करते हुए सीता ने देख लिया।
सीता ने मना किया तो उसकी सास ने सीता को ही गुस्सा हुई । इन सब बातों से सीता परेशान रहने लगी। एक दिन सीता के पति ने परेशानी का कारण पूछा ,तो उसने सारी बात बता दी। अपने पति के कहने पर सीता ने उन 4 पक्षियों को बाकि के पक्षियों के साथ पार्क में ही छोड़ दिया।
वह उनको कभी कभी दाना देने जाती थी। अब पक्षी सीता के अच्छे मित्र बन गए थे। पक्षी अब सीता के घर पर भी आने लगे। सीता की सास को जब यह पता लगा तो वह गुस्सा हुई। वह सीता को उसके माइके छोड़ने उसके साथ गयी। रास्ते में कुछ चोर ने सीता की सास के गहने चुराने की कोशिश की। तभी सीता के पक्षियों ने आकर चोरों पर हमला किया। जिससे चोर भाग गए। इसके बाद सीता और उसकी सास घर ही लौट आये।
अब सीता की सास की सोच पक्षियों के प्रति बदल चुकी थी। उसने सीता से कहा कि अब हम दोनों चिड़ियाँ को दाना देने चला करेंगे और पहले के 4 पक्षियों को घर वापिस लेकर आएंगे। यह बात सुनकर सीता बहुत खुश हुई।
सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की हमें जानवरों से अच्छा व्यवहार करना चाहिए।
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