प्रभु का रास्ता बड़ा सीधा है और बड़ा उलझा भी .. बुद्धि से चलो तो बहुत उलझा , और भक्ति से चलो तो बड़ा सीधा .. विचार से चलो तो बहुत दूर , और भ...
बुद्धि से चलो तो बहुत उलझा , और भक्ति से चलो तो बड़ा सीधा ..
विचार से चलो तो बहुत दूर , और भाव से चलो तो बहुत पास ..
नजरों से देखो तो कण कण में , और अंतर्मन से देखो तो जन जन में ..
जिन्दगी बदलने के लिए , लड़ना पड़ता है , और आसान करने के लिए समझना पड़ता है
वक्त आपका है , चाहो तो , सोना बना लो और चाहो तो सोने में गुजार दो
अगर कुछ अलग करना है तो , भीड़ से हट कर चलो , भीड़ साहस तो देती है पर
पहचान छीन लेती है , मंजिल न मिले तब तक हिम्मत मत हारो और न ही ठहरो क्योंकि
पहाड़ से निकलने वाली नदियों ने आज तक रास्ते में किसी से नहीं पूछा कि समुन्द्र कितना दूर है ।
बदलना है , मुझे उन चाबियों को जो कभी मेरे सपनों के ताले खोल नहीं पाई ,
बदलना है मुझे उन रस्मों रिवाजों को जो कभी कर नहीं पाए किसी की भलाई
बदलना है मुझे उन परम्पराओ को , जिनसे किसी के चेहरे पर कभी खुशी नहीं आ पाई ,
बदलना है मुझे उन आडंबरों को जिनसे खर्च होती है किसी की मेहनत की कमाई
बदलना है मुझे बालिका के जन्म पर अफसोस करने वालों पर और देते नहीं बधाई ,
बदलना है मुझे दहेज प्रथा को जिनसे किसी पिता की जाती है मेहनत , पसीने की पाई /पाई
बदलना है मुझे उन दस्तूर को जो लोगों के चेहरे पर कभी मुस्कान न ला पाई
बदलना है मुझे मृत्यु भोज के खर्चों को , क्योंकि जीते जी तो माता - पिता की सेवा न हो पाई
बदलना है अब के बरस अपने लिए अपनी शर्तों पर जी कर ही सच्ची खुशी
विचार से चलो तो बहुत दूर , और भाव से चलो तो बहुत पास ..
नजरों से देखो तो कण कण में , और अंतर्मन से देखो तो जन जन में ..
जिन्दगी बदलने के लिए , लड़ना पड़ता है , और आसान करने के लिए समझना पड़ता है
वक्त आपका है , चाहो तो , सोना बना लो और चाहो तो सोने में गुजार दो
अगर कुछ अलग करना है तो , भीड़ से हट कर चलो , भीड़ साहस तो देती है पर
पहचान छीन लेती है , मंजिल न मिले तब तक हिम्मत मत हारो और न ही ठहरो क्योंकि
पहाड़ से निकलने वाली नदियों ने आज तक रास्ते में किसी से नहीं पूछा कि समुन्द्र कितना दूर है ।
बदलना है , मुझे उन चाबियों को जो कभी मेरे सपनों के ताले खोल नहीं पाई ,
बदलना है मुझे उन रस्मों रिवाजों को जो कभी कर नहीं पाए किसी की भलाई
बदलना है मुझे उन परम्पराओ को , जिनसे किसी के चेहरे पर कभी खुशी नहीं आ पाई ,
बदलना है मुझे उन आडंबरों को जिनसे खर्च होती है किसी की मेहनत की कमाई
बदलना है मुझे बालिका के जन्म पर अफसोस करने वालों पर और देते नहीं बधाई ,
बदलना है मुझे दहेज प्रथा को जिनसे किसी पिता की जाती है मेहनत , पसीने की पाई /पाई
बदलना है मुझे उन दस्तूर को जो लोगों के चेहरे पर कभी मुस्कान न ला पाई
बदलना है मुझे मृत्यु भोज के खर्चों को , क्योंकि जीते जी तो माता - पिता की सेवा न हो पाई
बदलना है अब के बरस अपने लिए अपनी शर्तों पर जी कर ही सच्ची खुशी
Ur life in ur hands.utilize it.
ReplyDeleteYes , Thank you so much 🙏🏻😊🙏🏻
DeleteUr life in ur hands.utilize it.
ReplyDelete👍👍
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